मनरेगा अधिनियम का उलंघन : कार्य स्थल पर छाया, पानी और दवा की व्यवस्था नहीं; जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे हैं ध्यान

जलडेगा:महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत कार्य स्थलों पर श्रमिकों को छाया-पानी एवं दवाइयों की सुविधा देना अनिवार्य है। मगर जलडेगा प्रखंड में संचालित हो रही इस योजना के तहत कार्य स्थलों पर न तो छाया व ना हीं पानी की व्यवस्था है। जबकि दवाइयां भी कार्य स्थल पर अभी तक नहीं पहुंच है। मनरेगा अधिनियम के तहत जो सुविधा श्रमिकों को कार्य स्थलों पर मिलनी चाहिए। वह सुविधा नहीं मिल रही है। जिसके कारण श्रमिकों को तेज धूप में भी कार्य करना पड़ रहा है। भीषण गर्मी के दौर में जहां हर किसी की हालत खराब है। वहीं ग्रामीण इलाकों में मनरेगा श्रमिक तपती दोपहर में काम करने को मजबूर है। श्रमिकों को विश्राम करने के लिए छाया भी नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में उन्हें भीषण गर्मी में आराम के लिए पेड़ों की तलाश करनी पड़ रही है। तेज धूप में काम करने पर कई श्रमिकों को आए दिन उल्टी-दस्त जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन उपचार के लिए मौके पर दवा तक नहीं मिलती है। इन श्रमिकों पर अधिकारियों का ध्यान तक नहीं जा रहा है। साथ ही श्रमिकों ने बताया कि पीने का पानी भी घर से ही लाना पड़ता है। सरकार ने कार्य स्थल पर छाया, पानी और दवा इंतजाम करने का निर्देश दे रखा है लेकिन कार्यस्थल पर कोई व्यवस्था नहीं है।

चालू वित्तीय वर्ष में मात्र 30 योजना ही फाइनल हुआ, जबकि अब भी 1033 योजना ऑन गोइंग

पंचायत      ऑन गोइंग    कंप्लीट

जलडेगा        99               0

कोनमेरला     122             2

कूटूंगीया        102             7

लम्बोई           141             13

लमडेगा          103             4

ओडगा            39              1

परबा              150             1

पतिअम्बा        107            0

टाटी                69              0

टीनगिना         101             2

मनरेगा में रोजगार की है गारंटी, मजदूरी की नहीं

मनरेगा में रोजगार की गारंटी है, लेकिन मजदूरी की नहीं। मनरेगा के तहत प्रखंड में मजदूरों को रोजगार तो मिल रहा है, लेकिन मजदूरी नहीं। जलडेगा प्रखंड में पिछले कई महीनों से मनरेगा मजदूरों को उनकी मजदूरी नहीं मिली है। मजदूरों के लिए परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है। इस कारण मजदूरों का मनरेगा से मोह भंग हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप उनकी सक्रियता कम हो रही है। प्रखंड में कुल 1033 योजनाएं संचालित हैं। इसमें प्रतिदिन औसतन 450 से 500 मजदूर काम करते हैं। उन्हें कई दिनों से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है।

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